पिता और बेटे ने साथ में पास किया इंटरमीडिएट परीक्षा, उम्र को दे दी गवाही
राजबीर पंवार ने 34 साल बाद अपनी शिक्षा को पुनः शुरू करते हुए अपने बेटे आर्यन के साथ मिलकर इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण कर एक प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत की है। सहारनपुर जिले के चिलकाना नगर क्षेत्र के पथेड़ गांव के निवासी राजबीर और उनके बेटे आर्यन ने यह साबित कर दिया है कि "सीखने की कोई उम्र नहीं होती।"
राजबीर ने 1989 में हाई स्कूल परीक्षा पास की थी, लेकिन उस समय परिस्थितियों के चलते कॉलेज जाने का अवसर नहीं मिला। लेकिन उन्होंने कभी भी शिक्षा का महत्व नहीं भुलाया। अब, 34 साल बाद, उन्होंने अपने बेटे आर्यन के साथ मिलकर इंटरमीडिएट परीक्षा का फॉर्म भरा और इस परीक्षा में सफल होकर अपने सपनों को साकार किया।
राजबीर ने 500 में से 265 अंक प्राप्त किए, जबकि उनके बेटे आर्यन ने 500 में से 289 अंक प्राप्त किए हैं। यह केवल अंक नहीं हैं, बल्कि यह एक पिता और पुत्र की मेहनत, लगन और संकल्प का प्रतीक हैं। राजबीर सिंह बहरामपुर, बेहट क्षेत्र से हैं और पथेड़ कसबे में एसबीआई कियोस्क शाखा का संचालन करते हैं।
राजबीर के बेटे आर्यन का सपना एक इंजीनियर बनने का है, और इसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा है। उसने अपने पिता के साथ इस यात्रा को साझा किया, जो न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे शिक्षा जीवन में नई दिशा और अवसर प्रदान कर सकती है।
राजबीर का यह कदम न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि जीवन में कभी भी नए सिरे से शुरुआत की जा सकती है। उनके इस प्रयास से न केवल उनके परिवार को प्रेरणा मिली है, बल्कि यह भी साबित होता है कि शिक्षा का कोई अंत नहीं होता, और ज्ञान की खोज हमेशा जारी रहनी चाहिए।
आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में, जहां शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, राजबीर और आर्यन की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक उदाहरण है जो जीवन में किसी भी उम्र में शिक्षा की ओर कदम बढ़ाने का साहस रखता है। उनके इस प्रयास ने न केवल उनके परिवार को गर्वित किया है, बल्कि यह अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगा कि वे अपने सपनों की ओर बढ़ते रहें, चाहे उम्र कितनी भी हो।