उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर दंगों में दर्ज 2015 के फर्जी मुकदमों को लिया वापस: योगी सरकार का बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कानपुर में 2015 में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान दर्ज किए गए 31 आरोपियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले को वापस लेने का फैसला किया है। यह फैसला उन आरोपों के बाद लिया गया जिसमें तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी पर निर्दोष लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजने का आरोप लगा था।
यह घटना कानपुर के फजलगंज थाना क्षेत्र के दर्शनपुरवा इलाके में हुई थी, जहाँ एक धार्मिक पोस्टर के अपमान के कारण दो समुदायों के बीच विवाद हो गया था। सांप्रदायिक तनाव ने जल्द ही दंगे का रूप ले लिया, जिसमें पथराव और नारेबाजी हुई। घटना के समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी।
2015 कानपुर दंगों के मुकदमों को वापस लेने का आदेश
इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण यह था कि पीड़ित पक्ष ने शिकायत की थी कि तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी ने फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर 32 निर्दोष लोगों को जेल भिजवाया था। भाजपा नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक यह मामला पहुंचाए जाने के बाद राज्य सरकार ने मुकदमे को वापस लेने का निर्णय लिया। विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह ने जिलाधिकारी को पत्र जारी करके कार्रवाई का आदेश दिया।
क्या था 2015 का कानपुर दंगा?
यह दंगा 23 अक्टूबर 2015 को कानपुर के दर्शनपुरवा इलाके में हुआ था, जब कुछ असामाजिक तत्वों ने एक दुकान पर लगे धार्मिक पोस्टर को फाड़ दिया। इस घटना के बाद, दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए और हालात तेजी से बिगड़ गए। पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर माहौल को नियंत्रित किया, लेकिन अगले ही दिन हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके चलते तनाव और बढ़ गया।
घटनास्थल पर पहुंचे अधिकारी स्थिति को संभालने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन तत्कालीन सपा विधायक इरफान सोलंकी की एंट्री ने मामला और जटिल बना दिया। सोलंकी ने ताजिया जुलूस निकालने पर जोर दिया, जिसके कारण दोनों समुदायों में फिर से तनाव पैदा हो गया और पथराव शुरू हो गया। हिंसा के दौरान फायरिंग और बमबाजी भी हुई, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
सरकार का आदेश और आगामी कदम
इस पूरे प्रकरण के बाद, 31 निर्दोष लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिन्हें अब योगी सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। सरकारी वकील और जिला प्रशासन से रिपोर्ट मंगवाने के बाद यह कार्रवाई की गई। पीड़ित पक्ष द्वारा मामले की शिकायत भाजपा नेताओं तक पहुंचाए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया और सरकार ने मामले को समाप्त करने का आदेश दिया।
सांप्रदायिक तनाव के बीच न्याय की लड़ाई
कानपुर के इस दंगे ने प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ा दिया था, लेकिन अब योगी सरकार के इस फैसले ने पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रशासन द्वारा फर्जी मुकदमों में फंसे लोगों को राहत दिलाने के इस प्रयास को लेकर समाज के विभिन्न तबकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कड़ी निगरानी और सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि निर्दोष लोगों को फर्जी मुकदमों में न फंसाया जा सके।