देहरादून में डेंगू का कहर: 18 मामले और एक मौत
देहरादून डेंगू के बढ़ते प्रकोप की चपेट में है, जहां इस जानलेवा बीमारी ने 42 वर्षीय एक निवासी की जान ले ली और शहर में दहशत फैला दी। अब तक 18 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें बुधवार को दो नए मरीज एक निजी अस्पताल में भर्ती किए गए। मानसून के मौसम में मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा मिलने के बीच स्वास्थ्य विभाग इस वायरस को रोकने के लिए दिन-रात जुटा है।
मृतक, नया बस्ती, बलवीर रोड का निवासी था, जिसे 5 अप्रैल को गंभीर किडनी और सांस की समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद 10 अप्रैल को मल्टी-ऑर्गन फेलियर से उसकी मौत हो गई। इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार अस्पताल ने मरीज को डिस्चार्ज दिखाया था। अब सच्चाई जानने के लिए डेथ ऑडिट शुरू किया गया है, और टीमें अस्पताल व मृतक के घर भेजी गई हैं।
चकराता के कंडोई और रायपुर की सपेरा बस्ती से नए मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को शहर के एक प्रमुख अस्पताल में भर्ती किया गया है। 18 पुष्ट मामलों में 12 देहरादून के हैं, जबकि छह अन्य शहरों से हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने 867 लोगों की जांच की है, जिसमें 12 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं और छह का इलाज चल रहा है। सीएमओ ने स्कूलों को बच्चों के लिए पूरी आस्तीन की वर्दी अनिवार्य करने और निवासियों को ठहरे हुए पानी को हटाने का निर्देश दिया है, जो डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का अड्डा बनता है।
सीएमओ ने जिला मलेरिया अधिकारी सुभाष जोशी से डेंगू से संबंधित जिम्मेदारी छीन ली, क्योंकि वे मामले की जानकारी देने में नाकाम रहे। अब डॉ. सी.एस. रावत, डॉ. एन.के. त्यागी और डॉ. पीयूष अगस्टीन को यह जिम्मा सौंपा गया है। डेंगू जांच की दर ₹1,100 तय की गई है, और लैब्स को रेट लिस्ट प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है। अस्पतालों को बेड आरक्षित करने के निर्देश भी हैं।
यह प्रकोप शहर के लिए एक जंग का आह्वान है। पानी के ठहराव को रोकने से लेकर जागरूकता फैलाने तक, देहरादून डेंगू के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। निवासियों से हर छोटे कदम के साथ इस खामोश हत्यारे को रोकने की अपील की गई है।
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